चाणक्यनीति


जीवन के लेखक बनो और अपने मन के। "पाठक"
 क्योकि जितना अधिक खुदके बारे में ज्ञान अर्जित करेंगे
 उतना ही काम तुम्हे दूसरों की राय पर निर्भर होना पड़ेगा 
-----चाणक्यनीति 

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