जीवन के लेखक बनो और अपने मन के। "पाठक" क्योकि जितना अधिक खुदके बारे में ज्ञान अर्जित करेंगे उतना ही काम तुम्हे दूसरों की राय पर निर्भर होना पड़ेगा -----चाणक्यनीति
खुश रहने का सीधा सा मंत्र उम्मीद अपने आप से रखो, किसी और से नहीं। कौन क्या कर रहा है, कैसे कर रहा है, क्यों कर रहा है। इससे आप जितना दूर रहेंगे, अपनी मन्जिल के उतने ही करीब रहेंगे...